नई दिल्ली, 17 मार्च 2025: भारत की लोकतांत्रिक प्रक्रिया में एक ऐतिहासिक बदलाव लाने की दिशा में केंद्र सरकार आज ‘एक देश, एक चुनाव’ (One Nation, One Election) बिल लोकसभा में पेश करने जा रही है। इस विधेयक का उद्देश्य लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराना है, जिससे चुनावी प्रक्रिया को अधिक कारगर और कम खर्चीला बनाया जा सके।
क्या है ‘एक देश, एक चुनाव’ बिल?
इस विधेयक के तहत, देशभर में लोकसभा और सभी राज्यों की विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने की योजना है। वर्तमान में, विभिन्न राज्यों में अलग-अलग समय पर चुनाव होते हैं, जिससे चुनावी खर्च और प्रशासनिक दबाव बढ़ता है। अगर यह बिल पास हो जाता है, तो हर पांच साल में एक ही समय पर सभी चुनाव कराए जाएंगे।
‘एक देश, एक चुनाव’ के फायदे
- चुनावी खर्च में कमी: बार-बार चुनाव होने से सरकारी और राजनीतिक दलों का भारी खर्च होता है। यह प्रणाली लागू होने से इन खर्चों में कटौती होगी।
- शासन में स्थिरता: लगातार चुनावों से बचने के कारण सरकारें अपने कार्यकाल में विकास कार्यों पर अधिक ध्यान केंद्रित कर सकेंगी।
- प्रशासनिक सुविधा: चुनाव आयोग और सुरक्षाबलों को बार-बार चुनाव कराने की कठिनाइयों से राहत मिलेगी।
- विकास कार्यों में तेजी: बार-बार आचार संहिता लागू होने से विकास कार्यों में रुकावट आती है, जिसे यह प्रणाली दूर कर सकती है।
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क्या हैं इस बिल की चुनौतियाँ?
- संविधान संशोधन की आवश्यकता: इसे लागू करने के लिए संविधान में संशोधन जरूरी होगा, जिसके लिए व्यापक राजनीतिक सहमति आवश्यक है।
- राज्यों की सहमति: सभी राज्यों को इस प्रणाली को अपनाने के लिए सहमत करना एक चुनौतीपूर्ण कार्य होगा।
- मतदान प्रक्रिया का समन्वय: पूरे देश में एक साथ चुनाव कराने के लिए चुनाव आयोग को अत्यधिक संसाधनों और उचित योजना की आवश्यकता होगी।
क्या कह रही है सरकार और विपक्ष?
सरकार का कहना है कि यह विधेयक भारत की लोकतांत्रिक प्रणाली को और मजबूत बनाएगा और आर्थिक रूप से फायदेमंद होगा। वहीं, विपक्षी दलों का तर्क है कि इससे संघीय ढांचे पर असर पड़ेगा और राज्यों की स्वतंत्रता सीमित हो सकती है। अगर यह विधेयक पारित हो जाता है, तो यह भारतीय चुनाव प्रणाली में एक बड़ा बदलाव होगा। अब देखना होगा कि यह प्रस्ताव लोकसभा और फिर राज्यसभा में कितनी तेजी से पारित होता है और इसे लागू करने में सरकार कितनी सफल होती है।